पतित पावनी गंगा
जिसकी ह्रदय स्थली से बहते हुए संपूर्ण भूमि को पवित्रता
प्रदान करती है| नालंदा विश्वविद्यालय जिसका
गौरवगान करता है| जिसने
1857 के
सिपाही विद्रोह में
अंग्रेजी शासन की नीव
हिलाने वाला ''कुंवर-सिंह'' पैदा किया|
महात्मा गाँधी की
कर्म भूमि और
गुरुगोविंद सिंह की जन्मभूमि वह
धरती, ''बिहार'' जहाँ
से महात्मा बुद्ध
ने ''वशुधैव-कुटुम्बकम'' की
अवधारणा प्रुस्तुत भारत को जगत
गुरु होने की
संज्ञा दिलाई थी|
बिहार ही वो पुण्य धरती है जिसने स्वतन्त्र भारत
को पहला राष्ट्रपति दिया,
और जयप्रकाश नारायण
जैसा बेटा दिया,
जिन्होंने 1977 में कांग्रेस के
गुरुर को तोड़कर
भारत में पहली
बार गैर
कांग्रेसी सरकार
बनाने में अहम् भूमिका निभाई| जहाँ के लोग अपनी बाहु-बल और कार्य कुशलता के सहारे
भारत ही नहीं वरन पुरे विश्व में कीर्ति-पताखा फहरा रहे है| बिहार भारत का वह पहला
राज्य है, जहाँ 58% लोग 25 वर्ष से कम आयु के है, फिर भी यह देश की अर्थव्यवस्था
के सबसे पिछड़े योगदाताओ में से एक गिना जाता है, जो इस ऐतिहासिक राज्य के माथे पर
एक कलंक के सामान है| ऐसा नहीं है, कि यहाँ के लोग कामचोर है, बिहार में कुछ साल
पहले तक कम के आभाव में लोग जीवकोपार्जन के लिए दुसरे राज्यों का रुख करते थे, पर
वर्तमान समय में पलायन में कमी आई है| ''नितीश कुमार जी'' के नेतृत्व में बिहार
दिन-दुनी रात-चौगुनी प्रगति कर रहा है, यही कारण है कि 2011 -012 में गुजरात को
पछाड़ कर बिहार ने 16.71% आर्थिक विकाश दर हासिल किया, जो पुरे भारत में पहला स्थान
है| पर बिहार आज भी संसाधनों और पूंजी की मर झेल रहा है, जिसे ''विशेष राज्य के
दर्जे'' के द्वारा पूरा किया जा सकता है| बिहार के लोग पिछले कई सालो से विशेष
राज्य की मांग करते आ रहे है, लेकिन केंद्र के कानो पे जू तक नहीं रेंगा| फिर से
एक नए जोश-जूनून के साथ बिहार के लोग ''मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी'' के नेतृत्व
में 4 नवम्बर को पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान में ''विशेष राज्य की मांग'' के
समर्थन में विशाल रैली करने जा रहे है| अब देखना ये है कि इस रैली कि गूंज केंद्र
सरकार तक पहुच पाती है या नहीं| गाडगिल फार्मूले के तहत 1966 में विशेष राज्य का
दर्जा देने का सिलसिला शुरू हुआ, जो अब तक 12 राज्यों को दिया जा चूका है| जिसके
लिए मानक जरूरते है, राज्य से अन्तराष्ट्रीय सीमा लगती हो, आबादी का घनत्व कम हो,
तथा जनजातीय आबादी हो| बिहार इन सभी मानक जरुरतो पर खरा उतरता है| राज्यों को
केद्र से मिलने वाले कुल पैसे के 70 % पर ब्याज देना होता है, और 30 % अनुदान के
रूप में मिलता है| जबकि विशेष राज्यों को केंद्र से मिलने वाले पैसे के 10% पर ही
ब्याज देना होता है, और 90% अनुदान के रूप में मिलता है| अगर बिहार को उसका ये हक
मिल जाता है, तो इसमें कोई दो-राय नहीं है कि बिहार अपने चहुमुखी विकाश द्वारा
विकाशशील-भारत के इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगा|
शनिवार, 3 नवंबर 2012
शुक्रवार, 2 नवंबर 2012
लोकतंत्र पर भारी स्वार्थ-
30 अक्टूबर को ''अरविन्द
केजरीवाल'' द्वारा मुकेश अम्बानी
के विरुद्ध किये
गए खुलासे के
तह में जाने
पर हम पाते
है, कि विश्व
के सबसे बड़े
प्रजातंत्र में आम
आदमी सुरक्षित नहीं
रह गया है|
अगर हम भारत
के वर्तमान राजनीतिकपरिदृश्यो
कि बात करें
तो इस निष्कर्स
पर पहुंचना मुश्किल
हो जाता है,
कि हमारे निति
निर्देशक, हमारे हुक्मरान, हमारी
विरासत और हमारी
अमूल्य सम्पदा का प्रयोग
जनहितार्थ कर रहे
है या खुद
के स्वार्थहितार्थ| एक
प्रजातान्त्रिक देश में
जनता का अधिकार
केवल वोट देने
तक ही सीमित
नहीं है, उसे
हक है अपने
अधिकारों के लिए
आवाज बुलंद करने
का| हमारे संविधान
की प्रस्तावना में
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
की बात कही
गई है| पद्दुचेरी
के एक युवक
के खिलाफ केस
दर्ज कर उसे
जेल भेज दिया
जाता है, क्योकि
उसने ट्विटर पर
लिख था ''भारत
में रॉबर्ट वाड्रा
से ज्यादा अमीर
वित् मंत्री जी
के बेटे है|''
हमारे नेता रास्ट्रीय
प्रतिको का किसी
तरह प्रयोग करें
कोई बात नहीं,
लेकिन एक कार्टूनिस्ट
उस पर कार्टून
बना देता है,
तो वह देशद्रोही
है| क्या ये
सब हमारे संविधान
का अपमान नहीं
है? क्या आम
जनता ये समझने
से महफूज रह
सकती है, कि
क्यों रिलायंस का
लाइसेंस रद्द करने
कि बात कहने
पर मणिशंकर अय्यर
पर गाज गिरी
थी, और अब
7000 करोड़ की पेनाल्टी
लगाने पर जयप्रकाश
रेड्डी को सम्बंधित
मंत्रालय से बहार
का रास्ता दिखा
दिया गया| अन्धो
को रोशनी, लंगड़ो
को लाठी और
बहरो को श्रवण
शक्ति से महफूज
रखने के आरोपी
को मंत्रिमंडल से
निष्काषित करने के
बजाय और भी
ऊँचे ओहदे पर
बैठा देना कहा
का जनतंत्र है|
हमारे हुक्मरान जो
यह कहते है,
कि ''जनता बोफोर्स
कि तरह कोयला
घोटाले को भी
भूल जाएगी|'' मै
उनसे कहना चाहूँगा-
''हमें टू जी
भी याद है
हमें कोयला भी
याद है,सब बोफोर्स कि माफिक ही याद है,
इस भ्रम में मत रहना कि, हम भूले है इसे,
हमें लोकसभा चुनाव की तारीख भी याद है|''
सदस्यता लें
संदेश (Atom)