रविवार, 3 जुलाई 2016

जानी...काश ! तुम न जाते...

‘जानी ! फिल्म इंडस्ट्री में दो ही कलाकार हैं, पहला राजकुमार और दूसरा दिलीप कुमार।’ हिंदी सिने जगत का यह सच खुद राजकुमार ने बयां किया था। 'दिलीप कुमार' ने अपने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि एक बार आधी रात को राजकुमार ने फोन कर मजाक में यह बात कही थी। पर राजकुमार का यह मजाक ही भारतीय फिल्म जगत की सच्चाई है।
'राजेश्वर सिंह जब दोस्ती निभाता है तो अफसाने बन जाते हैं मगर
दूश्मनी करता है तो इतिहास लिखे जाते है।’ सिर्फ दोस्ती और दूश्मनी के किरदार को ही नहीं वरन हर चरित्र को जिवंत बना देने वाले राजकुमार को उनकी इस पुण्यतिथि पर सादर नमन। आज जब हिंदी फिल्मों ने प्रेमिका के सौन्दर्य चित्रण को 'हलकट जवानी' तक उतार दिया है, इस समय ऐसे दिलकश अदाकार की कमी खलती है जो प्रेमिका के पैरो के सौदर्य चित्रण को भी अपनी संवाद अदायगी के बल पर 'अमर' बना देता है। जी हाँ, कौन नहीं जानता इस डायलॉग को : 'आपके पांव देखे बहुत हसीन हैं, इन्हें जमीन पर मत उतारियेगा मैले हो जायेगे।’ दो दशक पहले आज ही के दिन उस परवददिगार ने इस महान अभिनेता को हमेशा के लिए अपने पास बुला लिया था जिसके लिए कही गई राजकुमार की यह बात शायद ही कोई ना जानता हो कि, ‘ना तलवार की धार से, ना ही गोलियों की बौछार से, बन्दा डरता है तो सिर्फ परवददिगार से।’