‘एक चुटकी भर चांदनी एक चुटकी भर शाम,
बरसों से सपने यही देखे यहाँ आवाम’
‘राजनीतिक रोटी सेंकने वाले लोग 40 साल तक आपके
साथ खेल खेलते रहें’ सैनिकों के एक रैंक एक पेंसन के सपने को जिवंत करने के लिए
फिर से सांत्वना देते प्रधानमंत्री जी की बात सुनकर मुझे ‘दिनेश शक्ल’ का यह शेर
याद आ गया। सच में राजनीति आज
तक खेलती ही तो आई है हमारी संवेदनाओं से, हमारे सपनो से। अब यह मोदी जी के हाथ में है कि वे सत्ता
की डोर से आम आदमी के सपनों को बांधते हैं या फिर यह सांत्वना सियासी बिसात भर बन
कर रह जाती है।
जब दुनिया की सारी सभ्यताएं लड़खड़ा कर चलना सीख रही
थी तब भारत ने आगे बढ़कर उनका मार्गदर्शन किया और जगत गुरु का खिताब हासिल किया आज
भी संसार का मार्गदर्शन भारतीय दर्शन के द्वारा ही संभव है। एक बार फिर से योग के माध्यम से भारत के
हाथों में विश्व समुदाय का नेतृत्व दिलाने के लिए मोदी जी बधाई के पात्र हैं। भारत को योग का ब्रांड एम्बेसडर बनना
चाहिए यह हम सब के लिए गर्व की बात होगी लेकिन हमारे गाँवों में एक बात कही जाती
है,
‘भूखे भजन ना होई गोपाला’
जठराग्न की आग ने जिनके पेट और पीठ का अंतर मिटा
दिया है वे क्या जाने योग क्या है और वे क्या योग करेंगे? मोदी जी ने गरीबो के फ़ौज
की बात कही। मैं व्यक्तिगत रूप
से एक साल की मोदी सरकार की कई योजनाओं का समर्थक हूँ लेकिन एक कसक है मेरे मन में
और वह यह कि मोदी जी के शासन का एक साल बीत जाने के बाद भी फुटपाथ पर सोने वाले गरीबों
की संख्या में कमी नहीं आई। आज भी उतनी ही
संख्या में और उसी हाल में बच्चे लाल बती पर गाड़ियों के गेट पर दस्तक देते हैं। साल 2013 हो, 2014 या अब 2015, लक्ष्मीनगर
मेट्रो स्टेशन की सीढ़िया उतरते समय मुझे वह औरत आज भी उन्ही चिथड़ो में उसी हाल में
हाथ फैलाए हुए दिखती है। कुछ देर के लिए मैं
मान भी लूँ कि उस औरत जैसे और भी लोग भीख को ‘प्रोफेसन’ बना चुके हैं लेकिन क्या
यह ‘प्रोफेसन’ इस देश के स्वास्थ्य के लिए सही है? अपने हक़ की आवाज बुलंद कर रहे
लोगों पर साम-दाम-दंड-भेद से काबू पाने वाली सरकार क्या जनतंत्र के इस बदनुमा दाग
को खूबसूरती का रंग नहीं दे सकती है? क्या सरकार उन जैसी औरतों और तमाम भीख मांगने
वालो के जीवन यापन की मुकम्मल व्यवस्था कर उनके भीख मांगने के ऊपर कठोर कार्यवाई
नहीं कर सकती है? जरुर कर सकती है, अगर चाहे तो। अपने हित की सरकारी योजनाओं की राह देखती
रहती है जनता। प्रधानमंत्री जी ने
कहा भी कि 8 करोड़ 52 लाख लोगों ने 20 दिन पुरानी योजना का लाभ लिया।
किसान और युवा ये दो अगर सशक्त हो जाए तो देश को सशक्त
होने से कोई नहीं रोक सकता। प्रधानमंत्री जी ने
इस मन की बात में इन दोनों के हीत की भी बात की. किसान चैनल सचमुच हमारे सुदर गाँव
के किसानों के लिए हितकारी साबित होगा अगर वे इसे देखते और सीखते हैं। परन्तु फिर से परेशानी वही है, बिजली की। देश के कई गाँव आज भी बिजली की दयनीय दशा
से जूझ रहे हैं। कई गाँव तो ऐसे हैं
जहाँ आज तक तार-पोल भी नहीं जा पाया है। किसान चैनल से किसान लाभान्वित हो इसके लिए सरकार को बिजली के हालात
पर भी ध्यान देना चाहिए।
देश का आलाकमान जब देश के युवाओं से सीधे मुखातिब
होता है तब देश की नई पौध पर इसका एक बेहतर प्रभाव पड़ता है। प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी जी ने युवाओं
से संवाद का कोई भी मौक़ा छोड़ा नहीं है। विद्यार्थियों को
परीक्षा की शुभकामना और कामयाबी के कारगर उपाय बताने के साथ-साथ उनके परीक्षा
परिणाम में भी प्रधानमंत्री सरिक होते दिखते हैं। इस बार उन्होंने विफल छात्रों को राह
दिखाया और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जी से प्रेरणा लेने की बात कही ‘जो
पायलट बनना चाहते थे लेकिन फेल हो जाने के कारण पायलट नहीं बन सके।‘ युवा मन से मोदी जी के मन की बात का सार्थक
परिणाम भी देखने को मिल रहा है। बीते मार्च की बात
है, हरियाणा के कारनाल के रहने वाले ‘राकेश रोहिल्ला’ ने पीएमओ के कहने पर अमेरिका
की अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ के 10 करोड़ के ऑफर को ठुकरा दिया। बेहतर भारत के निर्माण के लिए हमें
प्रधानमंत्री जी के इस बात की सार्थकता की ओर कदम बढ़ाना होगा कि, ‘आपके सपने, आपकी
शक्ति, आपके सामर्थ्य का देश के सपने से मेल-जोल होना चाहिए।