महात्मा गांधी उन चंद महान लोगो की फेहरिस्त में
सबसे आगे हैं जिनके विचारों को वैश्विक स्तर पर मान्यता दी जाती है | बात चाहे
किसी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ‘राजघाट’ पर पुष्पचक्र अर्पण की हो, या संयुक्त
राष्ट्र द्वारा 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस मनाए जाने के निर्णय को चीन द्वारा
समर्थन की, महात्मा गांधी का व्यक्तित्व सबके लिए अनुकरणीय है | जन्मभूमि भारत और
पहली कर्मभूमि दक्षिण अफ्रिका के बाहर गांधी जी के विचारों का सम्मान करने वाले
दुसरे देशों में केवल अमेरिका और चीन ही नहीं है. इंग्लैण्ड, इटली, फिलिस्तीन सहित
कई देशों में आज गांधीवादी विचारधारा की झलकियाँ देखी जा सकती हैं | जिनके विरुद्ध
स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कर गांधी जी ने भारत को आजादी दिलाई उन्ही अंग्रेजो
के देश में गांधी जी की प्रतिमा के आगे उनके चाहने वाले नतमस्तक होते हैं | इटली
में कुछ दिन पहले तक साझा सरकार में रहे एक प्रमुख राजनीतिक दल ‘रैडिकल इटालियन’
का झंडा गांधी जी के चित्र से सुशोभित होता है | अपनी मांगो के लिए अनशन का रास्ता
अपनाने वाले रैडिकल इटालियन’ पार्टी के कार्यकर्ता अपने दल के उस झंडे के साथ आम
लोगो के हक़ की आवाज बुलंद करते हैं जिसका पिछले 20 सालो से गांधी जी का चित्र शोभा
बढ़ा रहा है | यही नहीं फिलिस्तीन को अलग करने वाली जेरुसल्लम और रामल्ला के बीच एक
गाँव में बनी दीवार पर गांधीजी का एक विशाल चित्र उकेरा गया है | इजराईल के हमलो
से त्रस्त फिलिस्तीन में भी गांधी जी की विचारधारा से प्रभावित कई संगठन हैं, जो
लोगों को अहिंसा के प्रति जागरूक करते हैं | ऐसे ही एक संगठन ने वहां पर ‘गांधी
प्रोजेक्ट’ नाम के एक कार्यक्रम चलाया है जिसके माध्यम से अहिंसा और सत्याग्रह के लाभों
का प्रचार किया जाता है | गांधी प्रोजेक्ट के तहत ही ‘रिचर्ड एटनबरो’ की फिल्म
गांधी को अरबी में डब करवाकर शरणार्थी शिविरों और फिलिस्तीन के अन्य भागो में
दिखाया जाता है | अमेरिका में गांधी जी किस तरह से रचे बसे हैं, इस घटना से समझा
जा सकता है | सीनेट चुनाव के समय जब हिलेरी क्लिंटन अपने एक संबोधन में यह कह गई
कि, ‘गांधी जी सेंट लुई में गैस स्टेशन चलाया करते थे’ तो वहां के लोगों ने इस कथन
के विरोध में इतना प्रदर्शन किया कि हिलेरी क्लिंटन को सार्वजनिक रूप से माफी
मांगनी पड़ी थी | हिलेरी क्लिंटन ने बाद में कहा भी कि, ‘मैंने तो यू ही मजाक में
कह दिया था, वास्तविकता तो यह है कि गांधी जी बीसवी शताब्दी के एक महान नेता थे |
ये तमाम उदाहरण यह साबित करने के लिए पर्याप्त
है कि महात्मा गांधी अपने सुविचारों और सुकर्मों के बल समूचे विश्व में अपनी
उपस्थिति बनाए हुए हैं | पर अफ़सोस कि गांधी के ही देश में उनकी विचारधारा को
तिलांजली दी जा रही है | गांधी तो आज नहीं हैं और ना ही आ सकते हैं यह कहने कि ‘नाथूराम
गोडसे’ मेरा हत्यारा है उसकी पूजा मत करो | लेकिन यह लानत है हम सब पर कि जिनके
कारण हम आज आजाद हवा में सांस ले रहे उन्हें के हत्यारों को महिमामंडित किया अजा
रहा है और हम चुप हैं | शायद हम बोल भी नहीं सकते क्योंकि हम जिन्हें अपनी आवाज
बना कर संसद में भेजते हैं उन्ही से आशा करते हैं कि वह हमारी बात करेंगे लेकिन
वर्तमान समय में यह होता नहीं दिख रहा है | गांधी जयंती के दिन ‘स्वच्छ भारत
अभियान’ की शुरुआत कर इसे एक आन्दोलन का रूप देने वाले हमारे प्रधानमंत्री जी भी
इस मुद्दे पर खामोशी की चादर ओढ़े हुए हैं | गांधी के इस देश में उनके हत्यारे
गोडसे की मंदिर बनाने के लिए भूमि पूजन कर लिया जाता है लेकिन हमारे हुक्मरानों की
तरफ से विरोध का एक स्वर मुखरित नहीं हो पाता है | आखिर क्यों, आखिर क्यों वे सब
लोग खामोश हैं जो खुद को गांधी का उतराधिकारी बताते हैं