गुरुवार, 29 जनवरी 2015

तालियाँ बजती रहेंगी,,,



''…बेटियां जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रही थी,
पिता तुम पर गर्व है चुप-चाप जाकर बोल आई.''
'डॉ. कुमार विश्वास की यह पंक्ति अपने पिता की शहादत को सलाम करती एक बेटी के आत्म गौरव का बखान कर रही है. एक सच्चे भारतवासी के रूप में यह बेटी भाग्यशाली है, क्योंकि यह उस पिता की पुत्री है जिसने खुद की कुर्बानी देकर इस मातृभूमि का ऋण चुकाया है. आँखें भले ही पिता से बिछड़ने के दुःख से आंसुओं से भरी है लेकिन दिल में गार्वानुभुती होगी खुद को माँ भारती के इस महान बेटे की बेटी कहने में.
भारत की संप्रभुता अपर आंच ना आए इसके लिए 'कर्नल एम.एन. राय' ने खुद की कुर्बानी दे दी और अपने व्हाट्सअप स्टेट्स को चरितार्थ कर गए. धरती रूपी रंगमंच पर माँ भारती के वीर सपूत का किरदार निभाने वाले कर्नल के रोल का तो पटाक्षेप हो गया लेकिन इस वास्तविक रंगमंच पर हिन्दुस्तान का यह सिपाही वह कर गया जिसके लिए हमेशा तालियाँ बजती रहेंगी।
मैने कहीं पढ़ा था कि मानवता और अहिंसात्मक रवैया भारत को विश्व परिदृश्य में एक अलग रूप में दिखाती है लेकिन कभी-कभी भारत को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है. ‘कर्नल एम.एन. राय’ भी शहीद नहीं होते अगर उन्होंने मानवता पर पर्दा डाल दिया होता. सैन्य अधिकारियों व स्थानीय लोगों के मुताबिक, मंगलवार को मुठभेड़ स्थल पर आतंकी आबिद के पिता जलालुद्दीन ने कर्नल राय को बताया कि उनका पुत्र आत्मसमर्पण करना चाहता है. जलालुद्दीन के दूसरे पुत्र उवैस ने भी सुरक्षाकर्मियों से आग्रह किया कि वे फायरिंग रोक दें. उसका भाई लड़ना नहीं चाहता, वह समर्पण करने को तैयार है. आतंकी के परिजनों के यकीन दिलाए जाने पर कर्नल राय ने अपने जवानों को फायरिंग रोकने को कहा. इसके बाद कर्नल राय खुद आतंकी का समर्पण कराने के लिए उसके ठिकाने की तरफ बढ़े तो आतंकी ने मौका पाकर फायरिंग कर दी. इसमें कर्नल जख्मी हो गए, लेकिन जमीन पर गिरने से पहले उन्होंने अपने साथियों संग जवाबी फायर कर दोनों आतंकियों को भी मार गिराया.
आतंकी को मारने की बजाय उसे गिरफ्तार करने के विकल्प वाले मानवता की पुकार ही ‘कर्नल’ के परिजनों के चीत्कार का कारण बन गयी. शत-शत नमन इस वीर सपूत को.

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