शनिवार, 8 मार्च 2014

मै नारी हूँ.

उस दिव्य पुंज को 'अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस' की हार्दिक शुभकामनायें जिसे हवा के लाख थपेड़े भी कभी बुझा ना सके हैं,,और जो आदिकाल से ही पुरे जग को दीप्तमान करती आ रही है| 



मै नारी हूँ,
नर की जननी हूँ,
जग की धरणी हूँ,
दुःख की हरणी हूँ,
सुख की करणी हूँ,
मै नारी हूँ,
ममता की आशा हूँ,  
दुःख की दिलाशा हूँ,
प्यार की पिपासा हूँ,  
सबके लिए सुवासा हूँ,
मै नारी हूँ,
जख्म मिले जितने भी,
हंस के मै सहती हूँ,
जितने भी हलाहल मिले,
अमृत समझ मै पीती हूँ,
मै नारी हूँ,
कोइ जिसे समझे ना,
ऐसी मै नीति हूँ,
कोइ जिसे मानता नहीं,
ऐसी एक रीति हूँ,
मै नारी हूँ,,,
महक जिससे आ ना सके,
ऐसी एक चन्दन हूँ,
जिसमे सर्वथा ही अंजन है,
ऐसी मै 'निरंजन' हूँ,    
मै नारी हूँ,,,,|
 

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