बुधवार, 4 जून 2014

क्या यही है उत्तर प्रदेश?



‘’एक आंसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है,  
तुमने देखा नहीं आँखों का समंदर होना.’’
उत्तर प्रदेश की धरती से आने वाले ‘मुनव्वर राणा’’ जी का यह शेर उसी उत्तर प्रदेश के उस निठल्ले और बेकार हुक्मरान को समर्पित है जिसके कारण आज यह गौरवशाली राज्य बदसूरत वर्तमान में जीने को मजबूर है और अपने स्वर्णिम अतीत को याद कर आंसू बहा रहा है| खुद का और बाप का फोटो लगा लैपटॉप बांटकर शिक्षा को भी प्रचार का माध्यम बना देने वाला कृष्ण कुल का कंस सदृश शासक यह भूल गया कि शिक्षा के लिए एक शांत और भयरहित वतावरण का होना भी नितांत आवश्यक है| अभी कुछ घंटे पहले खबर आई है कि प्रतापगढ़ में अपना रिजल्ट लेने जा रही आठवी क्लास की एक बच्ची को अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म को अंजाम दिया गया है|
वाह रे नाकाम बाप के निकम्मे औलाद यही है तुम्हारी सरपरस्ती कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ पुरी दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला उत्तर प्रदेश आज संयुक्त राष्ट्र संघ में बदनामी के बोल सुनने को मजबूर है| बदायूं में दो नाबालिग लडकियों के साथ हुई बर्बरता के बाद भी यूपी में महिलाओ के खिलाफ अपराध बढ़ता ही जा रहा है| यूपी सरकार के कुकृत्यो ने हवस के पुजारियों के हौसले कितने बुलंद कर दिए हैं इस बात का अंदाजा हम इस बात से ही लगा सकते हैं कि एक महिला जज के साथ भी दुष्कर्म का मामला सामने आया है|
यूपी में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती यह घटनाएं कहीं, नेता नाम को बदनाम करने और लोहिया के समाजवाद की सार्थकता समाप्त कर देने वाले ‘मुलायम’ के बलात्कारियों से हमदर्दी का नतीजा तो नहीं है, जो उन्होंने कुछ दिनों पहले अपने एक भाषण के माध्यम से व्यक्त किया था कि ‘लड़के हैं गलती हो जाती है|’ कैसी विडम्बना है कि ‘सुचेता कृपलानी’ और ‘सरोजिनी नायडू’ की राजनीतिक विरासत वाला राज्य हर दिन औरतो की अस्मत लुटते देखने को मजबूर है और युवा मुख्यमंत्री निर्दोष शिक्षकों पर लाठियां बरसवा रहे हैं|

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