सोमवार, 26 सितंबर 2016

देवानंद: एक दिलदार अदाकार

'कहते हैं इश्क नाम के गुजरे थे एक बुजुर्ग,
हम लोग भी मुरीद उसी सिलसिले में हैं।'

जिगर मुरादाबादी साहब की ये पंक्तियाँ अगर किसी एक शख्स पर सटीक बैठती है तो वो हैं, हिंदी सीने जगत के सदाबहार अभिनेता, प्यार, एहसास और रुमानियत की तस्वीर, आज के स्मार्टनेस को अपने समय में परिभाषा बना देने वाले दीवानगी की जीती जागती मिशाल, देवानंद साहब। बॉलीवुड के स्टार्स के लिए हम आज भी सुनते हैं कि उसकी अदा पर लडकियां मरती हैं। यहाँ मरना का मतलब दीवानगी होता है ना कि जान देना। दीवानगी में लड़कियों ने जान सिर्फ एक अदाकार के लिए दिया था जिसका नाम है देवानंद। कहा जाता है, देवानंद के व्हाइट शर्ट और ब्लैक कोर्ट पहनने पर कोर्ट ने रोक लगा दिया था, क्योंकि उन्हें इस ड्रेस में देख कर लड़कियां हद से ज्यादा क्रेजी हो जाया करती थीं। बहुत कम लोग होते हैं जिनकी माशुका प्यार के परवान नहीं चढ़ पाने पर भी खुद को अपने प्रेमी की यादों के हवाले कर देती है। देवानंद साहब उन खुशकिस्मत लोगों में से थे जिन्हें उस समय की सबसे खूबसूरत अदाकारा सुरैया का प्यार नसीब हुआ था पर अफ़सोस कि फ़िल्म 'किनारे किनारे' की शूटिंग से शुरू हुए इस प्यार की पतवार को मांझी नहीं मिल सका और यह मुहब्बत मजहब की भेंट चढ़ गई। लेकिन देवानंद को ना पाने के ग़म में सुरैया ने भी अपने को कमरे में कैद कर लिया और उसी दिन दुनिया के सामने आई जब जिंदगी को अलविदा कहा। हालाँकि सुरैया से बिछड़ने के बाद देवानंद की जिंदगी में आए सूनापन को दूर किया अभिनेत्री कल्पना कार्तिक ने, उनका हमसफ़र बनकर। उम्र के तीसरे पहर में देवानंद की जिंदगी में आई जीतन अमान। लेकिन प्यार में जमाने के हाथो शिकस्त पाए देवानंद को इस बार प्यार से ही हारना पड़ा और जीतन अमान ने उनकी चाहत को ठुकरा दिया। हालाँकि यह नाकाम इश्क दोस्ती में जरूर बदला। यह इत्तेफाक ही है कि करियर के शुरूआती दिनों से उम्र के अंतिम पड़ाव तक मुहब्बत के विभिन्न रूपों से रूबरू होने वाले हसीनाओं के सपनों के इस राजकुमार ने अपनी जिंदगी को पन्नों में समेटा तो उसे नाम भी दिया, 'रोमांसिंग विद लाइफ'। जिंदगी को रुमानियत का पर्याय बनाने वाले इस अभिनेता को जन्मदिन पर सलाम।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें