मंगलवार, 30 अगस्त 2016

सीट पकड़ प्रतियोगिता

मेट्रो में खाली सीट देखते ही दौड़ लगाने वालों के लिए भी ओलंपिक में एक खेल होना चाहिए, 'सीट पकड़ दौड़'...अरे भाई जब कोच एमएसजी (बाबा राम रहीम) 'रुमाल छू' के जरिए पदक का ख़्वाब देख सकते हैं तो मंगू सिंह क्यों पीछे रहें...इसमें पदक मिलने का पूरा चांस भी है क्योंकि बाकी देश वाले पूरी ताकत के साथ ही दौड़ेंगे, उन्हें तो पता भी नहीं होगा कि सीट छेंकना किसे कहते हैं...हमारी तरह बैग फेंक के सीट हथियाना उन्होंने तो सपनों में भी नहीं सोचा होगा...और अगर खेल में महिलाओं की भी एंट्री रही तब तो भैया...एक बार में 2 ठो पदक पक्का...हम बताते हैं कइसे...'मेट्रो में आपने नहीं देखा कइसे मैडम जी लोग सीट हंथियाने के बाद बगल वाले से मुस्कुरा के बोलती हैं, भैया थोड़ा सा खिसकेंगे...भैया तो जैसे पहिले से तैयार रहते हैं, दांत चियारे जाने के बाद दीवाल ढाहने वाले अंदाज में बगल वाले को धकियाते हैं... और फिर...'बाबू', आओ ना बैठ जाओ...बाबू भी मुंडी नीचे किए हुए तशरीफ़ रखते हैं...' बुझ गए न...लेकिन इसमें एक खतरा है...अगर मैडम जी द्वारा जीते गए सीट के बगल में कोई मुझ जैसा कोई हुआ तो मैडम जी की सीट भी जब्त कर ली जाएगी...

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