वर्तमान सरकार कि जनता
के साथ किये
जा रहे रवैये
को देखकर मुझे लग
रहा है कि,
''सबसे बड़े लोकतान्त्रिक
देश में, लोकतंत्र
का सबसे उपयुक्त
परिभाषा(जनतंत्र जनता का,
जनता के द्वारा
और जनता के
लिए शासन है)
ही कारगर नहीं
रह गया है|
भारतीय लोकतंत्र के लिए
तो इस परिभाषा
के दो स्तंभों(
जनतंत्र जनता का,
और जनता के
द्वारा) का औचित्य
तो उसी दिन
समाप्त हो गया
जब, सुचना के अधिकार
के तहत सम्पति
का ब्यौरा मांगने
पर श्रीमती सोनिया गाँधी जी
ने यह कहते
हुए मना कर
दिया कि इससे उनके
खुद कि असुरक्षा
का भय है|
और अंतिम स्तम्भ(जनता के द्वारा का)
का गला घोंट
दिया, हमारे माननीय
प्रधानमंत्री जी ने,
यह नहीं देखते
हुए कि देश
कि अस्सी करोड़
जनता महंगाई कि
मार से कराह रही
है| बल्कि बीस
करोड़ लोगो में
उन चंद लोगो
के बहुरूपिये रोनी
सूरत पर दया-दृष्टि दिखा कर,
जो भारत विरोधी
कांग्रेस के चंदे
को 2008 करोड़ तक पहुचाने
के लिए जनता
का खून चूसते
है| क्योकि, कुछ दिनों पहले विकाश
गहलोत जी द्वारा
आर टी आई
के तहत मांगे
गए जबाब में
तेल कंपनियों ने
कुछ चौकाने वाले
खुलासे किये थे|
प्रमुख तेल कंपनियों,
हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम,
इन्डियन आयल, ओ
एन जी सी,
गेल इण्डिया, नुमालीगढ़
रिफाईनरी, और बौमर
लौरी एंड कंपनी
ने आर टी
आई के तहत
इस बात का
खुलासा किया
कि,इन कंपनियों
के केवल साल
2010 -011 का शुद्ध मुनाफा 25 हजार
करोड़ रुपया है|
साथ ही इन
तेल कंपनियों को
2000 -01 वित वर्ष के
बाद एक पैसे
का भी घाटा
नहीं लगा है|
कहा जाता है
कि, सबसे बड़ा
संसाधन मानव संसाधन
होता है, और
हमारा देश मानव
संसाधन के मामले
में पुरे विश्व
में दुसरे पायदान
पर है| लेकिन
मानव संसाधन तभी
कारगर होता है,
जब उसे खुद
कि काबिलियत पर
कुछ कर दिखने
का मौका मिले|
वरन यहाँ तो
वोट कि भूखी
सरकार सबसे ज्यादा
प्रतिफल देने वाले
इस संसाधन को
पूरी तरह पंगु
बनाने पर तुली
है| जिसके लिए
आरक्षण पर आरक्षण
लागु किया जा
रहा है| और
अब खुदरा बाज़ार
में 51% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
को हरी झंडी
दिखा कर मनमोहिनी
सरकार ने यह
साबित कर दिया
कि,''हम तो
डूबेंगे सनम तुमको
भी ले डूबेंगे''|
अब बहुरास्ट्रीय कंपनिया
अपने कुल मुनाफे
का 50% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रो
में बुनियादी ढांचा
खड़ा करने में
खर्च करेगी| यानि
अब हमारी सरकार
में वो पौरुष
नहीं रहा, तभी
तो भारत के
विकाश को अब
विदेशियों के रहमोकरम
पर छोड़ा जा
रहा है|
अंत में मै
यही कहूँगा:-
''रहनुमाओ के रहमोकरम
पर देश को
छोड़ना,
भूल भारी है,
भारत वाशियों जल्दी जग जाओ ये तो फिर से
अंग्रेजी शासन लाने कि तयारी है''
भूल भारी है,
भारत वाशियों जल्दी जग जाओ ये तो फिर से
अंग्रेजी शासन लाने कि तयारी है''
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