सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

युवा नेतृत्व की जरुरत-

वर्तमान समय में देश के राजनीतिक परिदृश्य को देखकर हम सहज ही अनुमान लगा सकते है कि भारत को एक सशक्त युवाशक्ति के नेतृत्व कि सख्त जरुरत है| जो उभरते भारत को आरोपों-प्रत्यारोपों, अनशन और आंदोलनों कि राजनीती से निकाल कर एक सही दिशा दे सके, जो जनहित में फैसले लेकर जन-जन को देश के विकाश में सहयोग का अवसर प्रदान करे| और इस सब के लिए हमें इस मानसिकता से छुटकारा पाना होगा
कि ''आज कि राजनीति गन्दी तथा चोरो-डकैतों कि अंतिम शरणस्थली है|'' हम ये सब बहाने बना कर कब तक आम जनता को महंगाई और भ्रष्टाचार की गहरी खाई में ढकेलते रहेंगे| अगर राजनीति गन्दी है तो इसे साफ करने की जिम्मेदारी किसकी है? आज जनता एक ऐसे युवा नेतृत्व की तलाश में है, जो यह समझे की उसके पीछे 121 करोड़ जनता की उम्मीदे जुड़ी है| जो 19 करोड़ लोगो का समर्थन प्राप्त आतंकवादियों से निजात पाने के लिए, 39 करोड़ जनता का समर्थन प्राप्त सरकार के आगे हाँथ पसारते हुए 121 करोड़ जनता की ताकत ना भूले| लेकिन इसके लिए हमें उन लोगो की नियत को पहचानना होगा जो अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए आत्मविश्वास से लबरेज युवा शक्ति को अनशन-आन्दोलन और बन्दों की राजनीति में ढकेलते है| हमें जनता को लोहिया जी की बातें यद् दिलानी होगी की ''जिन्दा कौमें पाँच साल तक इंतजार नहीं किया करती हमें याद रखना होगा की हम बुद्ध के वंसज है जिन्होंने भारत को जगत गुरु होने की संज्ञा दिलाई थी| आज भी संसार का मार्गदर्शन, भारतीय दर्शन के द्वारा ही संभव है, लेकिन हमारी इस विरासत पर फिर से फिरंगियों की नजर पड़ गई है, और हमें अपनी इस विरासत की रक्षा करनी ही होगी|
डॉ. कुमार विश्वास जी के शब्दों में-
''मुर्दा लोहे को भी औजार बनाने वाले,
  अपनी आंसू को भी हथियार बनाने वाले,
  हमको नाकाम समझते है शियासत-दा मगर,
  हम है इस देश की सरकार बनाने वाले''

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