वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम
के कप्तान महेंद्र सिंह
धौनी के बारे
में यह कहना
बुरा नहीं होगा
कि, 'गर्व सफलता
की सीढिया गढ़ता
है जबकि गुरुर
विफलता की। यदि
आप अपने आत्मविश्वास से
आगे बढ़ कर
कोई काम करते
है तो आपकी
विफलता तय है।
एक कप्तान में
नेतृत्वकारी गुण होने के
साथ-साथ अच्छा
प्रदर्शन करने की काबिलियत भी
होनी चाहिए। जिसका
वर्तमान में धौनी में
घोर आभाव दिख
रहा है। अगर
आप खुद ही
अच्छा प्रदर्शन नहीं
कर पा रहे
है तो फिर
इसके लिए टीम
के दुसरे खिलाडियों को
किस मुह से
कहेंगे। सचिन तेंदुलकर भी
जब अपनी कप्तानी में
अच्छा नहीं खेल
पा रहे थे
तो उन्होंने खुद
ही कप्तानी से
इस्थिपा दे दिया था।
धौनी को इनसे
सीख लेनी चाहिए।
सौरभ गांगुली के
सन्यास लेने के
बाद धौनी ने
ही कहा था,
कि टीम में
अब युवाओ को
मौका दिया जाना
चाहिए। तो फिर
ये ही इस
कर्तव्य से पीछे क्यों
हट रहे है।
धौनी के कारण
ही किसी नए
विकेट कीपर को
भी मौका नहीं
मिल पा रहा
है। क्योकि टीम
में एक ही
विकेट कीपर रह
सकता है, और
जब एक कप्तान ही
विकेट कीपर हो
तो फिर उसकी जगह
कोई कैसे ले
सकता है। धौनी
कहते सुने जाते
है कि कोई
नया विकल्प ढूंढ़
कर लाइए तो
मै कप्तानी छोड़
दूंगा। तो ये
क्यों नहीं समझ
रहे है कि
इन्हें जब कप्तानी सौपी
गई थी उस
समय ये भी
नए थे, फिर
कैसे भारत को
दो-दो विश्व
विजेता का ताज
पहना दिए। क्या
पता कोई दूसरा
इनसे भी आगे
निकल जाय। इनके
गलत निर्णय और
नेतृत्व की वजह से आस्ट्रेलिया तो पहले ही
भारत को धुल
चटा चूका है।
अभी कुछ दिन
पहले इंगलैंड भी
28 साल
बाद हमारे ही
घर में हमको
हमारी औकात दिखा
दिया। 25 दिसम्बर को
पाकिस्तान के खिलाफ खेले
गए टी 20 मैच
का परिणाम शायद
कुछ और ही
होता, अगर मलिक
जैसे बल्लेबाज के
लिए भुवनेश्वर कुमार
का एक ओवर
बचा कर रखा
गया होता। इन
सब असफलताओ से
सीख लेकर धौनी
को किसी भी
एक फॉरमेट में
युवाओ के लिए
जगह खाली करनी
चाहिए। ये खुद
उनके लिए भी
अच्छा होगा और
भारतीय क्रिकेट के
लिए भी। खेल
में हार जीत
तो होती ही
रहती है। लेकिन
जब एक विश्व
विजेता टीम लगातार
धराशायी होती है तो
प्रशंसको के उम्मीदों को
भारी ठेस पहुचती
है। दूसरी तरफ धौनी की कप्तानी में
शुरू से ही
टीम में एकजुटता का
आभाव दीखता आ
रहा है। सहवाग
और गंभीर से
धौनी का मनमुटाव इनमे
नेतृत्व की कमी दर्शाता है।
अभी हाल ही
में इंगलैंड से
टेस्ट मैच के
समय पिच क्यूरेटर को
लेकेर हुआ विवाद
धौनी की काबिलियत पर
सवालिया निशान खड़ा करता
है।
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