शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

हैवानियत की हद -

भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ 543 संसदीय क्षेत्रो, 4032 विधानसभा क्षेत्रो और 638596 गाँवो में 10 लाख से अधिक महिलाये नेतृत्वकारी भूमिका अदा कर रही है। जहाँ कुछ दिनों पहले तक एक महिला को देश का प्रथम नागरिक होने का गौरव प्राप्त था। एक महिला ही जिस देश के सतासिन दल की अध्यक्षा है। लोकतंत्र की धड़कन कहे जाने वाले लोकसभा के अध्यक्ष की कुर्सी भी एक महिला के हाथो में है, और जिस देश के 3 बड़े राज्यों की कमान महिलाएँ संभाल रही है। ''यत्र नार्यस्ता पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता'' की बात करने वाले उस देश में नरपशुओ के दुष्कर्म की शिकार एक निर्दोष लड़की विगत 7 दिनों से जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही है। यह घटना उन दरिंदो की मर्दानगी पर कालिख है, क्योकि मर्द वो होता है जो अपने माँ के दूध की लाज रखने के लिए आखिरी साँस तक लड़ता है, अपनी बहन से कलाई पर राखी बंधवाता है और उसकी रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होता है। उस बहन-उस बेटी के शारीरिक दर्द की तो हम कल्पना भी नहीं कर सकते जब होश आने पर वह कहती है  'माँ मै जीना चाहती हूँ' लेकिन उसकी मानसिक पीड़ा का अनुमान हम इस बात से लगा सकते है जब वह अपनी माँ से कागज पर लिख कर कहती है, ''मेरा मोबाइल तो उन दरिंदो ने छीन लिया, लेकिन घर वाले मोबाइल में मेरी कुछ दोस्तों का नम्बर है, आप उन्हें फ़ोन कर के बता देना कि मै पढाई के लिए बाहर गई हूँ'' करोड़ो देशवाशियो की दुआए, और डॉक्टरों के अथक प्रयास से गैंगरेप की शिकार पीड़िता घटना के छठे दिन खुद से साँस लेने बोलने का प्रयास कर रही है। पीड़िता से मिलने के बाद सोनिया गाँधी जी की आँखे भर आई, शीला दीक्षित जी उससे मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। इण्डिया गेट से लेकर जंतर-मंतर और सोनिया गाँधी के घर से लेकर राष्ट्रपति भवन तक अनेक युवा संगठनों, महिला संगठनों और राजनितिक दलों ने पीडिता के लिए न्याय की मांग की। साथ ही कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक करोड़ो लोग सड़कों पर उतरे और उन्होंने बलात्कार के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाने और दिल्ली की जघन्य घटना के दोषियों को जल्द से जल्द सबक सिखाने वाली सजा दिलाने की मांग की। अपने कल को बेहतर बनाना, अपने भाई बहनों को एक अच्छा कल देना, और जीवन की सांध्य बेल में माता-पिता को एक अच्छी जिंदगी देना सबका सपना होता है, उस लड़की का भी यही सपना था। उसके अभिभावकों के अनुसार उसके सपनो ने उसे दिल्ली की राह दिखाई थी कि माता-पिता की आर्थिक हैसियत ने, लेकिन हैवानो की हैवानियत ने उस अबला के सपनो के पर कुचल दिए। हमारी सरकार को इस घटना से सीख लेकर दुष्कर्म का प्रयास करने और लडकियों पर छींटाकसी करने वालो के लिए कड़े से कड़ा कानून बना चाहिए ताकि फिर से कोई वहसी दरिंदा ऐसा करने की सोच भी पाले।

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