मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

कथनी और करनी का अंतर-


प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मुद्दे पर संसद में कांग्रेस की जीत इस तथ्य को और भी पुख्ता करती है कि कांग्रेस और इसके संघटक दलों को आम जन के दुःख-दर्द से कोई हमदर्दी नहीं है। क्योकि जब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मुद्दे पर भारत बंद हुआ था उस समय पश्चिम बंगाल में तृणमूल और वामदल दोनों, उतर प्रदेश मे सपा और बसपा दोनों, और तमिलनाडु में 'डी एम के' और 'ए डी एम के' दोनों ने एक स्वर से विरोध किया था। शायद भारतीय इतिहास में यह पहला अवसर था जब इतनी बड़ी विपक्षी एकता देखने को मिली थी। लेकिन कुछ ही दिनों में ऐसा क्या हो गया की उतर प्रदेश की दोनों पार्टियों ने अपने सुर बदल लिए। तृणमूल के समर्थन वापस लेने के बाद बैसाखी पर चल रही सरकार को अगर इन दोनों पार्टियों सपा और बसपा का समर्थन नहीं मिलता तो शायद आज नजारा कुछ और ही होता। 'एफ डी आई' के मुद्दे पर संसद में हो रही बहस में सपा प्रमुख श्री मुलायम सिंह जी ने सोनिया गाँधी से अनुरोध किया था की आप निर्देश दीजिये इसे वापस करने का और ये भी कहा था कि यदि आज गाँधी, लोहिया और जयप्रकाश होते तो आज भारत में एफ डी आई नहीं आती। श्रीमती सुषमा स्वराज जी द्वारा संसद मे दिए गए भाषण की बात करें तो एफ डी आई पर बहस में इसके विपक्ष में भाषण करने वाले 14 दलों के सांसदों की संख्या 282 थी जो संसद में बहुमत से 10 अधिक है। लेकिन वोटिंग के समय कांग्रेस ने ऐसा कौन सा गेम खेला की बहुमत उसके पक्ष में आ गया। अपने कथनी के अनुसार अगर मुलायम सिंह जी एफ डी आई के मुद्दे पर वोटिंग में वाक आउट करने के बजाय इसके विरोध में वोट किये रहते। और सुश्री बहन जी का विरोध भी एफ डी आई मुद्दे पर भारत बंद में सहयोग के तर्ज पर वोट में परिलक्षित होता तो शायद आज भी 40 करोड़ लोगो की रोजी और 20 करोड़ लोगो की रोटी सुरक्षित रहती। अल्पसंख्यको के भलाई की बात करने वाले मुलायम सिंह जी को शायद सच्चर कमिटी के उस रिपोर्ट के बारे में पता ही होगा जिसमे कहा गया था कि एफ डी आई का अगर सबसे बुरा प्रभाव पड़ेगा तो अल्पसंख्यको पर। क्योकि सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक ही खुदरा व्यापर से अपनी रोजी रोटी चलाते है। डॉ अम्बेदकर और लोहिया जी की दुहाई देने वाले वाले हमारे ये हुक्मरानो को यह डर क्यों नहीं सता रहा है कि जिस भोली-भाली निर्दोष जनता की हाथो को वे रोजी रोटी से दूर कर रहे है, उनकी ही एक ऊँगली से दबने वाला बटन इन्हें संसद भवन की सीढिया चढ़ने की इजाजत देता है।

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