रविवार, 4 अगस्त 2013

राजनीति के कुचक्र में पीसती कार्यपालिका-

बात 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के समय की है| उन दिनो मै अपने प्रखंड मुख्यालय सिकटा के एक निजी स्कूल में 5वी कक्षा का विद्यार्थी था| एक दिन स्कूल में मध्यांतर की घंटी बजी ही थी कि आसमान में हेलिकाप्टर की गड़गड़ाहट सुनाई दी| बच्चे सिकटा उच्च विधालय की ओर दौड़ पड़े, क्योँकि हेलिकाप्टर को वही उतरना था| रास्ते में लोगो की बातों से पता चला,  नितीश कुमार आए है| जब हम वहां पहुँचे नितीश कुमार भाषण दे रेहे थे, पर हमारा मकसद् नितीश कुमार को सुनना नहीं था, हम तो वहां उडनखटोला देखने गए थे| लेकिन भाषण में नितीश कुमार का एक बात मैने सुना जो मेरे दिमाग में बैठ गया, उन्होने कहा था ''वही पुलिस गोली चलागी, वही पुलिस एफआर दर्ज करेगी| मतलब साफ था उन्होने बिहार की जनता को सपना दिखाया था, एक सशक्त, और राजनीतिक दबाव रहित कार्यपालिका का| और इसी सपने को साकार होते देखने के लिए बिहार की जनता ने नितीश कुमार को गद्दी सौंपी|
इस समय लालू यादव कुछ भी कहें लेकिन उनके शासन काल की हकीकत यही थी, कि सूर्यास्त के बाद घर से निकलने पर लोगों के मन में असुरक्षा का भय व्याप्त रहता था| लोग उब चुके थे लालू-राबड़ी के शासन से|
 
यूपी में अखिलेश सरकार को सता सौपने के पीछे भी लोगों का यही विचार था| लेकिन अभी पुरे देश में आईएएस दुर्गा नागपाल के निलंबन को लेकर, अखिलेश सरकार की जो किरकिरी हो रही है, वह् बयां करती है कि अखिलेश यादव ने अब तक 'सपा' की पुरानी मानसिकता से छुटकारा नही पाया है| एक आईएएस अफसर जिसने खनन माफियों पर नकेल कसकर यूपी सरकार को लगभग 80 लाख रुपये का फायदा पहुँचाया, उसे सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के नाम पर निलंबित कर दिया गया| जबकि हकीकत कुछ और ही है, एक गरीब की झोपड़ी का अतिक्रमण कर उस पर मस्जिद बनाया जा रहा था| उसकी शिकायत पर पहुँची एसडीएम दुर्गा ने मस्जिद कि दीवार को गिराने का आदेश दे दिया, और गांव के लोगो ने मस्जिद कि दीवार गिराई| एक गांव जहाँ मंदिर या मस्जिद बनाने में हिन्दु मुसलमान मिलकर सहयोग करते है, मुझे नही लगता वहाँ पर इस घटना से सांप्रदायिक सद्भाव को कोइ खतरा हो|
 इस मामले में अखिलेश यादव का असली चेहरा उस समय सामने आया जब यूपी एग्रो के चेयरमैन और राज्य मंत्री नरेन्द्र भाटी का एक बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा ''माननीय अखिलेश जी से साढ़े दस बजे बात हुई और 11 बजकर 11 मिनट पर एसडीएम का सस्पेंशन ऑर्डर कलेक्टर के यहां रिसीव हो गया। यह है लोकतंत्र की ताकत।'' साथ ही यूपी सरकार का रेत मफियो से संबंध का संकेत उस समय मिला जब नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी ने आज तक चैनल द्वारा किए स्टिंग ऑपरेशन में इस मामले की पूरी सच्चाई उगल दी। उन्होंने कहा कि एसडीएम दुर्गा द्वारा अवैध खनन माफिया के खिलाफ अंकुश लगाने के बाद सपा नेताओं ने उनकी काफी शिकायतें सीधे सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से की थीं। इसके बाद ही उन्हें हटाया गया है।
कार्यपालिका का रानीतिक दबाव में पिसे जाने का यह एक अकेला उदाहरण नही है, या दुर्गा शक्ति नागपाल अकेली अधिकारी नही है, जिन्हे ईमानदारी से काम करने का यह सिला मिला है|
कई ऐसे अधिकारी है जो 6 महिने से ज्यादा कहीं भी नही रह पाते, और उनका स्थानांतरण हो जाता है| क्योकि सता के आड़ में निजी धंधेबाजी करने वाले नेताओं को उनकी ईमानदारी रास नही आती|
 

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