रविवार, 25 अगस्त 2013

खतरे में भारत की धर्मनिरपेक्षता-

कुछ दिन पहले बीबीसी ने पुरी दुनिया में रहने वाले 30 लाख हिंदुओं पर एक सर्वे कराया था कि हिंदुओं का सबसे प्रिय भजन कौन सा है| इस सर्वे से जो परिणाम निकल कर सामने आया, वह करारा जबाब है उन धर्म के ठेकेदारों का जो हिन्दु मुस्लिम एकता के बीच दीवार खड़ी करते हैं| 30 लाख हिंदुओं ने जिन 10 भजनों का चयन किया उनमें से 6 'शकील बदायुनी' के लिखे हुए हैं, और 4 'साहिर लुधियानवी' के लिखे हुए हैं| उन 10 के 10 भजनों में संगीत हैं 'नौशाद साहब' का| उन सभी 10 भजनों को आवाज़ दिया हैं 'रफी साहब' ने| ये 10 भजन 'महबूब अली खान' की फिल्मों में हैं, और इन 10 भजनों पर अभिनय किया हैं 'यूसुफ खान' उर्फ दिलीप कुमार ने| यह जीता जागता उदाहरण हैं भारतीय धर्मनिरपेक्षता और हिंदू-मुस्लिम एकता का|
लेकिन वर्तमान समय में धर्म को राजनीतिक रूप देकर एक खास समुदाय की आस्था के साथ जो सौतेला व्यवहार हो रहा हैं, वह भारत की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल खड़ा कर रहा है| भारतीय संविधान हर समुदाय के साथ समान दृष्टिकोण अपनाने की बात करता है| राम जन्मभूमी अयोध्या से हिंदुओं की एक खास आस्था जुड़ी है| यूपी सरकार का यह कहना एकदम गलत है कि 84 कोसी यात्रा से सांप्रदायिक सद्भाव को खतरा है| सांप्रदायिक सद्भाव को खतरा तो अब पैदा हो सकता हैं जब सरकार साधु-संतो के साथ ज्यादती करने पर उतारू है| जो यात्रा किसी दूसरे समुदाय के विरुद्ध नही हो तो उससे सांप्रदायिक तनाव कैसे पैदा हो सकता है? यह बात समझ से परे है कि जो यूपी सरकार अवैध धार्मिक स्थल की दीवार गिराए जाने को हथियार बनाकर सिर्फ 40 मिनट में आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति का निलंबन कर सकती है तो फिर वह 84 कोसी यात्रा पर प्रतिबंध कैसे लगा सकती है? जो यूपी सरकार करोड़ों लोगो के हुजूम वाले कुंभ मेले का आयोजन कर उसे सुरक्षा प्रदान कर सकती है तो फिर वह 84 कोसी यात्रा को सफल क्यो नही बना सकती?
जो लोग रामजन्मभूमि के इतिहास से वाकिफ हैं उन्हे यह पता होगा कि वर्ष 2003 में हाईकोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थल पर 12 मार्च 2003 से 7 अगस्त 2003 तक खुदाई की जिसमें एक प्राचीन मंदिर के प्रमाण मिले| 12 सितंबर 2011 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने अयोध्या के विवादित स्थल बाबरी मस्जिद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इस स्थल को राम जन्मभूमि घोषित कर दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में बहुमत से फैसला करते हुए तीन हिस्सों में बाट दिया। विवादित भूमि जिसे रामजन्मभूमि मानते हुए इसको हिंदुओं को सौंपे जाने का आदेश दिया गया। एक हिस्से को निर्मोही अखाड़े को देने का आदेश दिया गया। इस हिस्से में सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल था।  तीसरे हिस्से को मुस्लिम गुटों को देने का आदेश दिया गया। अदालत का कहना था कि इस भूमि के कुछ टुकड़े पर मुस्लिम नमाज अदा करते रहे हैं लिहाजा यह हिस्सा उनके ही पास रहना चाहिए। 
90 वर्षीय याचिकाकर्ता हाशिम अंसारी ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा था कि अब इस फैसले के बाद इस मुद्दे पर सियासत बंद हो जाएगी। लेकिन इन दो समुदायों को राजनीति के नजरिए से देखने वाले लोग यह नही चाहते कि अयोध्या भी हिंदू-मुस्लिम एकता की एक निशानी बने जहाँ एक ओर हिंदू तो दूसरी ओर मुस्लिम एक साथ अपने-अपने वद दिगार से इस देश के सलामती की दुआ माँगें| डॉ कुमार विश्वास जी के शब्दों में,
''दिवाली में अली बसे राम बसे रमजान,
ऐसा होना चाहिए अपना हिंदुस्तान|''
 
 
 

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