मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

बिलखती ममता, सिसकता बाप क्यों हुक्मरान है चुप-चाप?

एक माँ के लिए इससे बड़ी विपदा कुछ नहीं हो सकती है जब उसे अपने मृत बेटे का शव देखने को विवस होना पड़े| लेकिन उस माँ पर क्या बीत रही होगी जो पिछले 8 दिनों से अपने 11 माह के बेटे के शव के साथ दिन-रात गुजार रही है| सुनने में तो यह अजीब लगता है लेकिन यह सच है| यह सच है उस देश का जहाँ से इटली की सरकार अपने दो सैनिको को क्रिसमस मनाने के लिए इटली बुला लेती है जिनके ऊपर भारतीय मछुवारो के ह्त्या का इल्जाम है, लेकिन लानत है हम पर कि हमारे बेशकीमती वोटो द्वारा चुने हुए हमारे जन प्रतिनिधि अपने उस बेटे को भारत बुला सकने में अब तक नाकाम है जिसके 11 माह के बेटे का शव अंतिम संस्कार के लिए अपने उस पिता की राह देख रहा है जिसे उसके पिता ने अंतिम बार ढाई महीने की उम्र में देखा था| एक माँ इस देश के सबसे बड़े दरवाजे पर जा कर गिड़गड़ा रही है, अपने पति को उसकी लूट चुकी सम्पदा वापस सौंपने के लिए, लेकिन इस बार भी हमारे वजीरे आजम ने उस दुखिया को सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं दिया|
यह किस्सा है मुम्बई के 'कैप्टेन सुनील जेम्स का जो नेवी में कैप्टेन हैं, इसी साल उन्होंने इंग्लैण्ड की एक कंपनी 'यूनियन मैरिटाइन' के साथ 4 महीने का कॉन्ट्रैक्ट किया था| सुनील को 'एंटी ओसियन' नमक जहाज की जिम्मेदारी दी गई थी, जुलाई के महीने में उनके जहाज पर अफ़्रीकी देश 'टोगो' के पास समुद्री डाकुओ ने जहाज पर हमला कर के उसे लूट लिया| 'टोगो' की सरकार ने उन पर डाकुओ से मिले होने का आरोप मढ़ कर उन्हें हवालात में डाल दिया| सोचने वाली बात ये है कि उनके पास ना ही 'सुनील' के खिलाफ कोई सुबूत है ना ही साक्ष्य फिर भी क्यों नहीं रिहा किया जा रहा है सुनील को?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें