रविवार, 15 दिसंबर 2013

विरासत पर सियासत-

वंसानुगत राजनीति की शुरुआत करने वाले नेताओ के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर उनके लिए श्रद्धांजलि संदेशो से भरे समाचारपत्रों का एक भी कोना आज ऐसा नहीं दिखा जहाँ उस महान पुरोधा के लिए दो शब्द लिखें हो जिन्होंने संविधान की प्रस्तावना में लिखे शब्दों-'सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, पंथनिरपेक्ष, और लोकतंत्रात्मक गणराज्य' की नीव रखी थी| जिन्होंने रियासतो में खंडित भारत को अखंड भारत बनाया| आज देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों के आलाकमान 'सरदार पटेल' की विरासत को अपना बताने की होड़ में लगे हैं| क्या सरदार पटेल की गगनचुंबी प्रतिमा स्थापित कर देने से ही मात्र से ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि मिल जाएगी| देहावसान के बाद 'सरदार पटेल की कुल सम्पति 259 रूपए थी| आज उन्हें अपना बताने की होड़ में लगे राजनीतिक पार्टियो में किसी पार्टी के किसी नेता के पास हिम्मत है कि वो सरदार पटेल की इस विरासत को अपना सके|
''अपने बल पर जिन्होंने खंडित भारत को अखंड किया,
पुण्यतिथि पर उनके हम चरणो में शीश नवाते हैं,
गृहमंत्री बनकर जिन्होंने नवभारत को नई दिशा दी,
वह महान पुरोधा लौहपुरुष के नाम से जाने जाते हैं
राजनीति को देशभक्ति कहा करते थे जो महापुरुष,
आज देखो उनके नाम सता के लिए उछाले जाते हैं|''

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें