मंगलवार, 20 मई 2014

‘बिहारी’ बना बिहार का वजीर-




‘विनय बिहारी’ कभी इस गीत के कारण मशहूर हुए थे,
‘’लालू भैया बतिया मानअ बनी जा अगुआ गैर ना जानअ...’’
जिस काम के लिए ये निवेदन था वो तो लालू जी ने स्वीकार नहीं किया लेकिन अबकी बार नितीश कुमार ने जीतन राम मांझी की अगुआई में इस निर्दलीय विधायक की जदयू में आस्था को पहचानने में कोइ भूल नहीं की और नवाज दिया इन्हें उसी विभाग के पद से जिसकी पहचान ने इन्हें कलाकार से माननीय बनने का सौभाग्य दिया|
इसी गीत के बीच की पंक्ति है,
‘’रात देखनी इहे सपनवा तबे से कहता इहे मनवा..’’
पहली बार ही विधायक बनने के बाद मंत्री पद पाने वाले ‘विनय बिहारी’ का शायद यह सपना रहा होगा कि वे उस विभाग का दायित्व संभाले जिसमे आस्था ने उन्हें जगजाहिर किया| सियासत में पत्नी ‘चंचला बिहारी’ के सफल हो जाने के बाद भी असफल रहे ‘विनय बिहारी’ की पुकार शायद माँ दुर्गा ने सुन ली जब उन्होंने यह गीत लिखा कि,
‘’हे दुर्गा भवानी माई महारानी दुखवा सुनावे कहाँ जाईं हों,
नजरिया तु डालअ गिरल हईं उठा ल हे माई हमरा के तु आपन बना ल..|’’
कहा तो यह भी जाता है कि नाच गाने में रुची को भविष्य बनाने की जिद की कारण पिताजी ने इन्हें घर से निकाल दिया था| एक छोटी सी अटैची में केवल 2 कपड़े के साथ घर छोड़ने वाले गीतकार विनय बिहारी के नाम से ही कई भोजपुरी फिल्मे हीट हो जाती है, वहीं बिहार की राजनीति में भी ‘विनय बिहारी’ का नाम आज पहचान का मोहताज नहीं है| यह तो देखने वाली बात होगी कि अपनी कार्यकुशलता और लगन की बदौलत पिता का सर गर्व से उंचा कर देने वाले विनय बिहारी ‘कला संस्कृति विभाग’ को कितना ऊपर पहुंचा पाते हैं| वैसे यह तो साबित हो गया कि ‘लौरिया-योगापटी’ के लोगो ने अपने प्रतिनिधी को पहचानने में कोइ भूल नहीं की क्योकि फिल्मिस्तान का यह बाजीगर सियासत में भी उसी कर्मठता से काम कर रहा है| पिछले साल पुरे बिहार में किसी विधायक ने अपने क्षेत्र में सबसे अधिक ट्रांसफार्मर लगवाया है तो वह हैं ‘लौरिया-योगापटी’ विधायक विनय बिहारी|

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